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girishnagda ki kavita
रविवार, 25 अप्रैल 2010
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उठो अमिताभ और फूंक दो पांचजन्य १,२,३,४,५,६,
कोई टाइटल नहीं
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सच्चा परिचय
मन की तृष्णा
आखिर ! कब तक
हम सदा तुम्हारे साथ है
हे मेरे मुल्क के मालिक, व्यंग कविता
कृतज्ञ हूं मै सदा आपका
कोई टाइटल नहीं
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