मंगलवार, 11 मई 2010

पानी को प्यासी इस धरती पर अमृत के सपने मत लादो

ओ मेरे मुल्क के मालिको
पानी को प्यासी इस धरती पर
अमृत के सपने मत लादो
पानी को प्यासी इस धरती को
बस थोड़ा सा पानी पिला दो
पानी को प्यासी इस धरती पर
तुम अमृत के सपने मत लादो ॥

लेकिन मैने देखा है
अमृत के सपनो के बीच
अन्याय शोाण की मुठि्यो में भींच
कौन कौन से जुल्म नही किये
बस इतना जरा हमे बता दो
पानी को प्यासी इस धरती पर
अमृत के सपने मत लादो ॥

राट के कर्णधारो तुम
इस मां के भूखे बच्चो को
दूध न दे सको,
तो कोई बात नही
सिर्फ आटा ही घोलकर
ईमानदारी से पिला दो ।
मगर सोने की कटोरी में
जहर पिलाने से तो बेहतर है
कि उनका गला दबा दो ॥

पानी को प्यासी इस धरती पर
तुम अमृत के सपने मत लादो
पानी को प्यासी इस धरती को
बस थोड़ा सा पानी पिला दो ॥






गिरीशनागड़ा

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