शनिवार, 12 जनवरी 2013

बाते तो बड़ी अच्छी कर लेते हो
पर बातो की गहराइयों में
जाने की ताब और आब
न तुममे है न इनमे है ।।

नमाजी बनकर रोज़े रखकर
 मोमिन तो बन गए
पर इन्सान  बनने की ताब और आब
न तुममे है न इनमे है ।।

दुनियादारी निभा रहे हो तो
दुनिया दार ही रहो
दिल को दिल से
मिलाने की ताब और आब
न तुममे है न इनमे है ।।

तुम क्या हो ,क्या है तुम्हारा वजूद
जान लो ईमानदारी के एक
झोंके से बिखर जाओगे
घना दरख़्त बनने की ताब और आब
न तुममे है न इनमे है ।।

मत करो ज़िद क़रीब आने की
किसी मजलूम को लूट कर
चाहे हाजी भी बन गए
दिल को दिल से
मिलाने की ताब और आब
न तुममे है न इनमे है ।।

ऱोज सॊ चूहे खाकर भी तुमने
हज तो कर लिया
अपने नाखूनों को छुपाकर
मुझसे आखँ मिलाने की ताब और आब
न तुममे है न इनमे है ।।
- गिरीश नागडा

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