राह कौन सी
जाऊ मै ?
(अटल बिहारी
वाजपेई )
अटलजी कि कविता सत्ता से हटने के बाद -२४ मई २००४
को समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई थी
राह कौन सी
जाऊ मै ?
चोराहे पर लुट-ता चीर
प्यादे से पिट
गया वजीर
चलूं आखिरी चल की बाज़ी
छोड़ विरक्ति
रचाऊ मै
राह कौन सी
जाऊ मै ?
सपना जन्मा
और मर गया
मधु ऋतु ,में
ही बाग झर गया
तिनके बिखरे
हुए बटोरू या
नवसृष्टि सजाऊ
मै ?
राह कौन सी
जाऊ मै ?
दो दिन मिले
उधार में
घाटे के व्यापार
में
क्षण - क्षण
का हिसाब जोडू या
पूंजी शेष लुटाऊ
मै ?
राह कौन सी
जाऊ मै ?
- अटल बिहारी
वाजपेई
17 मई 2004
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