मंगलवार, 15 मई 2012

राह कौन सी जाऊ मै ?


राह कौन सी जाऊ मै  ?
(अटल बिहारी वाजपेई )
 अटलजी कि कविता सत्ता से हटने के बाद -२४ मई २००४ को समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई थी


राह कौन सी जाऊ मै  ?
चोराहे पर लुट-ता  चीर
प्यादे से पिट गया  वजीर
चलूं  आखिरी चल की बाज़ी
छोड़ विरक्ति रचाऊ मै
राह कौन सी जाऊ मै ?
सपना जन्मा और मर गया
मधु ऋतु ,में ही बाग झर गया
तिनके बिखरे हुए बटोरू या
नवसृष्टि सजाऊ मै ?
राह कौन सी जाऊ मै  ?
दो दिन मिले उधार में
घाटे के व्यापार में
क्षण - क्षण का हिसाब जोडू या
पूंजी शेष लुटाऊ मै ?
राह कौन सी जाऊ मै ?

- अटल बिहारी वाजपेई
17 मई 2004
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